बिल्ली विश्वविद्यालय(6)

झंडे सी तनी है ऊपर को,

या दाएँ-बाएँ हिलती है,

हौले हौले लहराती है,

हर हलचल कुछ तो कहती है।

हल्का सा इशारा पूँछ का ही

हर बात बयाँ कर जाता है,

ऑरी को हमारी बोलने की

थोड़ी भी जरूरत लगती नहीं।

लगता है देख के बिल्ली को

है शायर ने ये बात कही,

है इल्म की इब्तिदा हंगामा

इंतिहा ए इल्म है ख़ामोशी ।

(इल्म  -knowledge, enlightenment

इब्तिदा -शुरुवात

इंतिहा  -अंत)

                   स्वाती

One thought on “बिल्ली विश्वविद्यालय(6)

Add yours

Leave a reply to Anonymous Cancel reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Website Built with WordPress.com.

Up ↑