मेरे दुश्मन, मेरे दोस्त..

आगे आगे दौड़ेगा 
तो मुझसे पहले पहुँचेगा .
मंजिल कहाँ कहाँ रुकना है
तुझे नहीं है कोई खबर।

अभी तो मौसम खुशगवार है
अभी तो जीना सीखें हम,
आगे जा के रुकना पड़ा तो
कब तक राह तकेंगे हम?

क्या तू मेरा दोस्त बनेगा
मिल कर मज़े करेंगे हम,
या फिर काँटे जैसा चुभेगा
हर करवट,हर पल हर दम।

तो क्या जो आंखों पर ऐनक
बाल रहे हैं रंग बदल,
अभी सफर है बड़ा मजे का
अब तो रस्ता हुआ सरल ।

चूँ चूँ घुटने बोल रहे हैं
लेकिन मुझको दौड़ना है,
तुझको तो फुरसत ही फुरसत
मेरे पास समय है कम।

जल्दी क्या है पहुंच जाएंगे
उस मंजिल तक आज न कल,
मेरे बुढ़ापे जरा  सबर कर
थोड़ा पीछे पीछे चल।

                       स्वाती

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