इंद्रधनुष

अगली बार जो बरसे बारिश
 बंद आँखे कर लेना
और सुनना टप टप झरती 
 बूंदों की  वो आवाज ..
जो अलग है नल से टपकते
 पानी की आवाज से,
जो अलग है गीली पलकों से 
 ढलकती बूंदों के अंदाज़ से,
जो अलग है समुंदर की
 गरजती लहरों के गाज से,
जो अलग है बहते झरने  के 
 कलकल बजते साज़ से,
सम्हाल कर संजो कर रख लेना 
 वो आवाज, और साथ ही
भीगी मिट्टी की वो गंध सोंधी सी
 फिर जब कभी कुम्हलाने लगे मन
झुलसने लगे सपनों के बाग
 बस यूँ ही आँखे बंद कर पुकारना 
उस  महकती आवाज को...
 फिर भिगो देगी वो बारिश तुम्हें
सराबोर कर देगी।
 फिर चाहे मुश्किल बड़ी हो,
या धूप कड़ी हो
 देखना,दिख जाएगा तुम्हें
तुम्हारा अपना इंद्रधनुष ।
                           
                    स्वाती
                   16/07/21

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