मुझे सब याद है ना!

तुम मेरा नाम भी अक्सर
इन दिनों भूल जाती हो।
वो सब कुछ जो तुम्हारी 
जिंदगी था,और जो
तुमको तुम बनाता था 
वो जज़्बा,जो तुम्हारी 
शख्सियत था,अब वो
ना जाने कहाँ गुम है!

भले खोई हुई सी ही सही
मगर ये अब भी तुम ही हो।
तुम्हारा ही लहू है,
दौड़ता जो मेरी रग रग में।
वो पहला लफ्ज़ जो पहली
दफा मुंह से निकाला था,
वो पहला कदम जो बेफिक्र
हो धरती पे डाला था।
ना जाने कितने आँसू और 
ना जाने कितनी मुस्काने
तुम्ही तो थीं हमेशा
हौसला देने और समझाने।

वो घर कि जिसका एक 
एक कोना दमकता था।
तुम्हारी आहटें सुन कर
रसोई घर महकता था
वो सारे गीत जो तुम
काम करतीं गुनगुनाती थीं
वो बगिया जो हर एक मौसम
में खिलती मुस्कुराती थी।
वो सारी दुआएं,मन्नतें
आंसू और रत जगे
वो सारे व्रत,उपवास जो
कभी मेरे लिए रख्खे

वो सब धुंधला गया है
यूं के जैसे धुंध छा जाए।
हो सब अपनी जगह पर
आँख को कुछ ना नज़र आए।

तुम घबराना नहीं बिलकुल, 
परेशां भी नहीं होना
भले तुमको न याद आए, 
मुझे सब याद है ना माँ।

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