दोस्ताना 6

साशा दिन पर दिन शैतान होती जा रही थी। उसे मैं कुछ सिखाने की कोशिश करती, तो वो भाग कर कहीं झाड़ियों में जा छुपती। गंदी तो इतनी अधिक होती, कि साफ करना भी रोज का काम हो गया था। उसे बस पूरे दिन खेलना और दौड़ना अच्छा लगता। शेरी भौंक-भौंक कर उसे अनुशासित करने... Continue Reading →

दोस्ताना- ४

             शेरी कई बार मुझे विश्वास होने लगता है कि सारे रिश्ते-नाते, छोटी-मोटी घटनाएँ ये किसी तयशुदा बड़ी सी दैवी योजना का हिस्सा होती हैं। जब भी मैं पीछे मुड़कर कोई घटनाक्रम देखती हूँ, तब इस बात का एहसास अधिक होता है कि अरे!! सब बातें ऐसे हुईं मानों पहले... Continue Reading →

दोस्ताना -२

रॉकी सुबोध का प्राणी प्रेम कम होने का नाम नहीं ले रहा था। आखिर एक कुत्ता लाने का विचार किया गया। पप्पा के किसी परिचित की ऑलसेशियन कुतिया को पिल्ले हुए थे। पिल्लों का पिता देसी था, लेकिन बच्चे देखने में बड़े खूबसूरत थे। हम तो देखते ही फिदा हो गये। और इस तरह रॉकी... Continue Reading →

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