कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबां होती है कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबाँ होती है ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है वो न आये तो सताती है ख़लिश सी दिल को वो जो आये तो ख़लिश और जवाँ होती है (ख़लिश = चुभन, वेदना) रूह को शाद करे, दिल को जो पुरनूर करे हर... Continue Reading →
हम हैं मता ए कूचा ओ बाज़ार की तरह
आज पेश कर रही हूँ फिल्म दस्तक का गीत हम हैं मता ए कूचा ओ बाज़ार की तरह हम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह उठती है हर निगाह ख़रीदार की तरह (मता= वस्तु , कूचा-ओ- बाज़ार= गली और बाज़ार) वो तो कहीं है और मगर दिल के आस-पास फिरती है कोई शय निगह-ए-यार की तरह... Continue Reading →