मेरा मैं था बहुत अकेला खोज रहा था तुझको। जो तू मिलता,दे देना था अपना मैं ही तुझको। बहुत ढूँढ जब तुझको पाया पाया तुझे अकेला ही। तू भी तुझसे भरा हुआ था मेरे लिए जगह ना थी। मैं भी तुझको रखूँ कहाँ कह मैं तो मैं से हूँ लबरेज़। मेरा मैं अब तुझे अकेला... Continue Reading →