मैने पृथ्वी को प्रेम पत्र लिखेधरती के सीने में उतर करमेरे इन पत्रों ने पहुँचाया मेरा प्रेमऔर मेरा आभार धरती के हृदय तकऔर अब आने लगे हैं मेरे पत्रों के जवाब चमकीले, हरे रंगों में।ये हरे लफ्ज़ हवा में लहरातेसुनाते है पृथ्वी का जवाबी संदेशकि अभी भी बाकी है गुंजाईशमिल सकती है माफीऔर सुधारे जा सकते हैं रिश्ते,अगर हम कोशिश जारी रखें।और... Continue Reading →