साशा दिन पर दिन शैतान होती जा रही थी। उसे मैं कुछ सिखाने की कोशिश करती, तो वो भाग कर कहीं झाड़ियों में जा छुपती। गंदी तो इतनी अधिक होती, कि साफ करना भी रोज का काम हो गया था। उसे बस पूरे दिन खेलना और दौड़ना अच्छा लगता। शेरी भौंक-भौंक कर उसे अनुशासित करने... Continue Reading →
दोस्ताना-5
हमने नया फार्म खरीदा था। जब मौका लगता बड़े शौक से वहाँ जाते। नया नया जोश था। अक्सर तो हफ्ते में दो तीन बार भी चले जाते। शनिवार रविवार वहीं रहते। शेरी थी ही हमारे पास ,लेकिन वो तो फ्लॅट में ही पली बढी थी। सोचा कि एक ऐसा कुत्ता लिया जाए जो एकदम ज़बरदस्त... Continue Reading →