ये आज की सुबह थी या कल की शाम हैउठ के चाय पी लें या हमको अब सो जाना था।आज खा चुके हैं या मान लें कि कल खाई थी या फिर से खा लें वो दवा जिसको रोज खाना था।कुछ ऐसी अजब कूद फांद कर रहा है समयघड़ी भी हैरान है के ये अलार्म कब बजाना था।कुछ यूँ उलझ रहा है सिलसिला... Continue Reading →