मेरी वसीयत

सब कुछ वापस लौटाना होगा। अग्नि को वापस कर देना वो अंगार जो मेरे सीने में सदा सुलगता रहा। जल वापस चाहेगा वो सारी करुणा,सारे आँसू जो रह गए, बिना बहे। पृथ्वी को लौटाना होगा धैर्य  और आनंद का वह अक्षय पात्र जो कभी रीता न हुआ। पवन के हवाले कर देना मेरे पूर्ण, अपूर्ण... Continue Reading →

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