मेनोपॉज़

बात बेबात हो जाती हैंआँखे यूँ ही नमना जाने इन दिनों क्योंज़ब्त बहुत है कम।हम सबके और सबहमारे दुश्मन बन जाते हैं।गुस्सा इतना आता हैहम खुद से डर जाते हैंउम्मीदों के पहाड़ को अबतो मुश्किल हो गया ढोनापहले सब कर लेते थेपर अब आ जाता है रोनाक्या समझाएँ खुद कोखुद से थक जाते हैं हमना... Continue Reading →

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