देवभूमी में बिन्सर के जंगल के किसी छोर पर, चलते चलते ज़ीरो पॉइंट की ओर , कुछ पल सचमुच मानो शून्य में ही थे। ना आगे कोई ,न पीछे ही। ज़माना नहीं एहसास ए ज़माना भी नहीं। मैने कल्पना की कि अगले मोड़ पर मुड़ कर मैं भी निकल गई हूं दूर कहीं। मैने खुद... Continue Reading →