कह रहे हैं किसलिए, लिखना है किस की खातिरदास्तां अपनी ही अपने को सुनाई फिर फिर ।दूसरे तो एक बहाना थे महज़लिख के अपनी बात खुद को ही बताई फिर फिर।कितने झगड़े खुद से हर इक बात परखुद की खुद से दिलजमाई फिर फिर।एक दो चोटों से कब आई समझठोकरें उसी पत्थर से खाईं फिर... Continue Reading →