ये बातें कैसे फैलींपर्वतों की तलहटी में हरी घास की तरह...देख के वर्षा के बादलमन मोर तो मेरा नाचा था ।उन बूंदों में पहली बरखा की सिर्फ मेरा मन भीगा था ।मिट्टी की सौंधी खुशबू ने बस मुझको ही बौराया था ।सात रंग का इंद्रधनुष वोकहाँ किसे दिखलाया था ।धुली-धुली से नर्म धूप में मेरा मन अलसाया था ।फिर... Continue Reading →