मैंने कब कहा

मैंने कब कहा मुझे सहर करमेरी रौशनी हो जहान मेंशाहीन जो हैं  उड़ा करेंमेरा दिल नहीं है उड़ान मेंलगे झूमने सुन महफिलेंवो क़शिश नहीं मेरी तान मेंमुझे बहुत कुछ की नहीं हवसहै वही बहुत जो है हाथ मेंमुझे शोर ओ शोहरत से उज्र हैमैं खुश हूँ ख़ल्वत गाह मेंमैं बनूँ शजर कोई बैठ लेदम भर को... Continue Reading →

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