उन तीनों से गहरा रिश्ता था।उन से ही फिसल के गिरनाऔर सीखा गिर के सम्हलना भी।उनके कांधों पर चढ़ना सीखाऔर सम्हल के उतरना भी।बचपन के खेलों के साथी वो थे।बड़े नेक,बड़े दिलदार थे।जब दीमक खाने लगी उनकेबदन को, सूख कर गिरने लगेटूट कर बिखरने लगे।वो जो बस देते ही रहे हमेशाखतरा क्यों लगने लगे।वो तीनों... Continue Reading →