पतंगे उड़ाना, पेंच लड़ानाकटी पतंग लूटने के मज़े लूटनाहमेशा से रहा है हमारे खून में।जब कुछ और नहीं थातब से अब तक,हमारे दादा-परदादाऔर उनके दादा-परदादाऔर शायद उनके भी ,हर उम्र में प्रेम करते रहेपतंगों से और चकरियों से ।बेटे की पांचवी सालगिरह परउसके दोस्तों को तोहफे मेंदी थी रंगीन कागजी पतंगे मैंने।अब भी याद है उनकेरोमांचित चेहरे।पतंग जो... Continue Reading →