नदी अभी मरी नहीं है

नदी के किनारे-किनारे शहर बसा था कभी शहर के बीच अब एक बेचारी नदी रहती है। नदी का मिज़ाज अब अपना लिया है सड़कों ने नदी बेसुध सी पड़ी है और सड़कें बहतीं हैं। नदी का शहर से ताल्लुक कोई रहा ही नहीं सिर्फ बरसात में बहने की इजाज़त है इसे किसी कैदी की तरह... Continue Reading →

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