ह्रदय की बात हो

आहटों के शहर में सन्नाटे सारे खो गए। इतनी आवाजें हुईं कि  मौन सारे सो गए। शोर गुल इतना बढा कि कुछ न फिर बाकी रहा। होठ बस हिलते रहे, शब्द बस झरते रहे, कोलाहल गूँजा किए,  और अर्थ सारे खो गए। बात करने की ज़रूरत अब है पहले से अधिक नारे बाज़ी, घोषणाएं शोर शराबा चिल्लपों.. तुमुल... Continue Reading →

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