कब,कैसे

पिछले दिन के आगेफिर अगला दिन,अगले दिन के आगेफिर अगला दिन....लम्हा लम्हा बहता रहता,इक दिन जाता रोज खिसक।वो ही उठना,वो ही जीनावो ही थक कर सो जाना।रोज रोज के इस चक्के मेंघूम घूम कर थक गये जब,एक दिन नज़र उठा कर देखाखुद को ना पहचान सके!वही सुबह और वही दोपहरवो ही घर और वही सफरउसी... Continue Reading →

Website Built with WordPress.com.

Up ↑