कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबां होती है

  कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबां होती है कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबाँ होती है ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है वो न आये तो सताती है ख़लिश सी दिल को वो जो आये तो ख़लिश और जवाँ होती है (ख़लिश = चुभन, वेदना) रूह को शाद करे, दिल को जो पुरनूर करे हर... Continue Reading →

Website Built with WordPress.com.

Up ↑