बाप रे बाप…११

  पप्पा भोपाल में नौकरी करने लगे थे, लेकिन उनका वहाँ मन नहीं लगता था। सारे यार दोस्त,घर परिवार ग्वालियर में ही था । उम्र भी कम थी। छुट्टी हो या ना हो, मौका मिलते ही बार-बार ग्वालियर भागते। उनकी इस आदत को लेकर उनके RTO श्री चतुर्वेदी बहुत त्रस्त थे। एक बार जब पप्पा... Continue Reading →

बाप रे बाप …१०

स्टेशन से पप्पा सीधे पुराने भोपाल में देवास मोटर्स के गॅरेज नूरमहल पहुँच गये। बड़ा सा आहाता था,जिसमें ढेरों लोग रहते थे। गॅरेज का एकमात्र कमरा उन्हें दे दिया गया। जहाँ उन्होंने अपना सामान यानि एक गद्दा, स्टोव्ह और बॅग जमा लिये। नूरमहल के निवासियों में पप्पा सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे, होशियार और सुसंस्कृत तो थे... Continue Reading →

बाप रे बाप…९

नाना जिस अस्पताल में नौकरी करते थे, वहाँ एक बार डॉ. कोल्हे नामक आरोग्य सचिव दौरे पर पहुँचे। वे पहुँचते ही बहुत नाराज हो गये ,क्योंकि नाना उनका स्वागत करने बाहर नहीं आए थे। अस्पताल के भीतर पहुँचे, तो देखा वे आराम से OPD में बैठे में मरीज देख रहे थे। बाहर भीड़ लगी थी,लेकिन... Continue Reading →

बाप रे बाप…८

जैसे तैसे गणित और विज्ञान लेकर पप्पा मॅट्रिक पास हो गये । पढ़ने के लिये बहुत समय नहीं मिलता था, और कोई खास रुचि भी नहीं थी। उन्होंने सोचा कि इंटर में कॉमर्स ले लिया जाए, कम पढ़ना पड़ेगा। और वैसे भी अब तक पढ़े विषयों में कुछ भी आता जाता नहीं था। कॉमर्स लेने... Continue Reading →

बाप रे बाप…७

पप्पा की आई को सिलाई का शौक था। वे खुद मुंबई जा कर सिंगर की एक पैर मशीन खरीद कर लाईं थीं । उस समय पप्पा की उम्र पांच -छ: साल रही होगी। वो भी माँ के साथ मशीन खरीदने मुंबई गये थे। साथ एक बड़ी सी लोहे की कैंची भी थी। वह मशीन और... Continue Reading →

बाप रे बाप…६

  ६ पप्पा के घर के तीन नौकरों का जिक्र अक्सर अभी भी कोई ना कोई करता रहता है। एक लालाराम, जो बेहद ईमानदार था और उम्र भर अभ्यंकरों का वफादार रहा। दूसरा रामाजी, जो अनाथ था और बचपन में ही इनके घर आ गया था। बड़ा होने पर वह काका की दुकान में काम... Continue Reading →

बाप रे बाप… ५

स्कूल अच्छी तरह चालू था ,बस पप्पा कक्षा में कदम भी नहीं रखते थे। सिर्फ खेलने के लिये ही स्कूल जाते। हाँ ,स्कूल के कॅन्टीन में चाय पीने लेकिन रोज ईमानदारी से जाते। उस जमाने में बच्चों की जेब में आमतौर पर पैसे नहीं ही हुआ करते थे । इसलिये शिक्षकों के अलावा शायद ये... Continue Reading →

बाप रे बाप … ४

  माँ के जाने के बाद घर का वातावरण अजीब सा हो गया था। हालांकि घर में आजी और काकी थीं, लेकिन आजी बूढ़ी थी। पप्पा की आई और आजोबा की मृत्यु के बाद उनका मन उचट गया था। पूजा पाठ में ही लगी रहती। काकी अपने आप में ही व्यस्त रहती थी। खाना बहुत... Continue Reading →

बाप रे बाप… ३

पप्पा के बचपन में ग्वालियर का वातावरण बिल्कुल अलग था। रोज सुबह सड़कें झाड़ी जाती और भिश्ती मशक लेकर रास्तों पर पानी छिड़कता। दरबार लगते और विशेष अवसरों पर महाराज की सवारी निकलती। शिंदे सरकार का राज्य होने की वजह से स्कूलों में मराठी मीडियम था। पप्पा के यार दोस्त भी सरदारों-सुबेदारों के बेटे थे।... Continue Reading →

बाप रे बाप -२

पप्पा को फिल्म शराबी का एक डायलॉग बेहद पसंद है। उन्हें लगता है मानो वो उनके लिये ही लिखा गया हो। वो डायलॉग कुछ इस तरह था , “ तेरा तारीख को मैं इस दुनिया में आया। आया क्या जनाब, इस दुनिया में फेंक दिया गया।” पप्पा का जन्म १३ मई को बुंदेलखंड के चरखारी... Continue Reading →

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