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हम हाल-ए-दिल सुनाएँगे…
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माँ
मेरी वसीयत
नदी अभी मरी नहीं है
झबरीले
मेरे दुश्मन, मेरे दोस्त..
Art in Heart
दूर के ढोल
इंद्रधनुष
मुझे सब याद है ना!
तीस साल बाद..
शून्य शिखर पर
कुछ नया…
सन-सेट क्लब
तट पर भी हैं तूफान बहुत
नकाब
सुनो…
लगभग ईश्वर की तरह
कुछ लम्हें गैरज़रूरी से
क़तरा क़तरा
दो बूँदें शबनम की
मेरा मैं
नादानी
मैनें देखा ही नहीं
भूलभुलैया
जेरूसलम डायरी -4
जेरूसलम डायरी-3
जेरूसलम डायरी 2
जेरूसलम डायरी-1
क्या क्या मैं कहाँ रख लूँ..
रे मन, कितने मिडिल क्लास हो तुम!
यूँ भी तो हो सकता है…
तुम्हारे पास क्या है स्वाती?
विरासत
ह्रदय की बात हो
कितनी बार
वो तीन
मेरा पीपल
पहाड़ों पर अकेला वृक्ष
मैनें जंगल बोया
कभी उस ‘उस’ से मिलना तुम
ग़ज़ल
ये बातें…
उलझन
पतंग
कब,कैसे
प्राणवायु
तुम
मेनोपॉज़
मैंने कब कहा
Jet lag
बंद करो ये बंद करना
मेरे पुरुष मित्रों के नाम
काश !
खोल दो दरवाजे़
मेरे आध्यात्मिक मौन का अनुवाद
ये घर, वो घर
सविनय अनुरोध
स्वतंत्र अभिव्यक्ति
जाने भी दो
मुलाकात
बनते बनते
ग़लतफ़हमी
गमन
बुढ़िया और चोर
लोग भूल जाते हैं
सतह के नीचे
शादी
कथा
कोयला भया ना राख
तोहफा
लोटा
मराठी
इश्क मस्ताना
कबीर २
कबीर ३
घुमक्कड़ी
उत्तराखंड
बाप रे बाप
बाप रे बाप…१
बाप रे बाप -२
बाप रे बाप… ३
बाप रे बाप … ४
बाप रे बाप… ५
बाप रे बाप…६
बाप रे बाप…७
बाप रे बाप…८
बाप रे बाप…९
बाप रे बाप …१०
बाप रे बाप…११
बाप रे बाप… १२
बाप रे बाप…१३
बाप रे बाप…१४
बाप रे बाप… १५
बाप रे बाप …१६
बाप रे बाप…१७
बाप रे बाप…१८
बाप रे बाप…१९
बाप रे बाप… २०
बाप रे बाप …२१
लेख
पोरटेज
रोने से औेर….
दोस्ताना
दोस्ताना -२
दोस्ताना-३
दोस्ताना- ४
दोस्ताना-5
दोस्ताना 6
आईन्स्टाईन
मधुर याद बचपन तेरी
दो भाई
दोस्ती
लफ्ज़ों की दुनिया
अपने आप रातों में
नदी नारे ना जाओ श्याम पैंया परू
ह्रदय की बात
हम हैं मता ए कूचा ओ बाज़ार की तरह
कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबां होती है
हंगामा है क्यों बरपा
उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं
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Category:
घुमक्कड़ी
यात्रा वर्णन
उत्तराखंड
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उत्तराखंड
July 22, 2016
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