वो उसका जुल्फें सँवारने का ढंग वो उसके खूबसूरत पैराहन का रंग वो उसकी पेशानी पर पड़ी हल्की सी सलवट वो उसकी बेबात मुस्कुराने की आदत वो उसकी शक्ल ओ सूरत और अदाएं वो ऐसी भी है लेकिन क्या बताएं तुम्हें भी तो वो अक्सर मिलती ही होगी ज़रा सी बेतक़ल्लुफ बात भी करती ही होगीमगर जो फुर्सत हो किसी दिन यूँ भी... Continue Reading →
ग़ज़ल
चाहे हाथ ना हो बाग पे,ना पा हो रिकाब मेंमर्जी हमारी हम जो जी चाहे,देखेंगे ख्वाब में।मौत का एक दिन मुअय्यन हैक्यों डर के जीना छोड़ कर बैठें शिताब मेंहारे हैं इश्क में,मगर उम्मीद है बाकीसूखे गुलाब अब भी मिलेंगे किताब में।मिलने का दिल हो,उठ के चले आते हैं खुद हीकौन आया कितनी बार,नहीं रखते हिसाब... Continue Reading →
ये बातें…
ये बातें कैसे फैलींपर्वतों की तलहटी में हरी घास की तरह...देख के वर्षा के बादलमन मोर तो मेरा नाचा था ।उन बूंदों में पहली बरखा की सिर्फ मेरा मन भीगा था ।मिट्टी की सौंधी खुशबू ने बस मुझको ही बौराया था ।सात रंग का इंद्रधनुष वोकहाँ किसे दिखलाया था ।धुली-धुली से नर्म धूप में मेरा मन अलसाया था ।फिर... Continue Reading →
उलझन
बड़ी परेशानी है.......पिछले कई सालों का हर दिनइसी क़श्मक़श में गुज़ारा हैकि क्या कम करें,क्या ज्यादाकि जिससे सेहत बनी रहे।कम तेल, कम मीठाकम चर्बी, वगैरह वगैरह...खूब वर्जिश,खूब स्टेमिनाखूब प्रोटीन्स, वगैरह वगैरह...एग यलो,एग व्हाइटये ऑइल,वो ऑइल वगैरह वगैरह...कितनी बार लगाएँ हैं तालेजबान पर और मन पर,और कुचला है लालसाओं को।इस सारी मशक्कत कीवजह बस इतनी ही हैकि चलते रहें... Continue Reading →
दो भाई
ये जो मेरे दो लड़के हैं कौरव पांडव से बढ़ के हैं ।इनको अच्छा लगता चिल्लाना लड़ने का यह ढूँढे बहाना।लाते-घूँसे चीख पुकार फेका-फेकी मारा मार। मुश्किल है इनको समझानाघर लगता है पागल खाना।राम लक्ष्मण होंगे महान यहां तो भारत-पाकिस्तान।लेकिन अद्भुत इन का खेल इस पल झगड़ा उस पल मेल।एक दूजे की चीजें चुराएँ आधी चॉकलेट बाँट के खाएं।ऐसा इस झगड़े का... Continue Reading →
पतंग
पतंगे उड़ाना, पेंच लड़ानाकटी पतंग लूटने के मज़े लूटनाहमेशा से रहा है हमारे खून में।जब कुछ और नहीं थातब से अब तक,हमारे दादा-परदादाऔर उनके दादा-परदादाऔर शायद उनके भी ,हर उम्र में प्रेम करते रहेपतंगों से और चकरियों से ।बेटे की पांचवी सालगिरह परउसके दोस्तों को तोहफे मेंदी थी रंगीन कागजी पतंगे मैंने।अब भी याद है उनकेरोमांचित चेहरे।पतंग जो... Continue Reading →
कब,कैसे
पिछले दिन के आगेफिर अगला दिन,अगले दिन के आगेफिर अगला दिन....लम्हा लम्हा बहता रहता,इक दिन जाता रोज खिसक।वो ही उठना,वो ही जीनावो ही थक कर सो जाना।रोज रोज के इस चक्के मेंघूम घूम कर थक गये जब,एक दिन नज़र उठा कर देखाखुद को ना पहचान सके!वही सुबह और वही दोपहरवो ही घर और वही सफरउसी... Continue Reading →
दोस्ती
एक किताब किसी लायब्रेरी में देखी थी। मैं बच्चों के लिए खरीदना चाहती थी पर मिली नहीं। तो हमने अपनी खुद ही बना ली। कहानी उसी अंग्रेजी किताब से प्रेरित है। एक कहानी , कुछ नीली, कुछ पीली और कुछ हरी।
नदी नारे ना जाओ श्याम पैंया परू
नदी नारे नदी नारे ना जाओ- गुलाब बाई https://youtu.be/Txitmlpbr1M
प्राणवायु
उनकी तारीफों के पुल बांध रही है दुनियाउनका संघर्ष, परिश्रम,सफलता सब कुछकाबिले तारीफ,एक मिसाल,शानदार !अपने भाषण के अंत में दुनियाभर केआभार मान कर,बड़ी सह्रदयता सेउसे अच्छा लगे,बस इसलियेवो जोड़ देते हैं कभी कभी ये भी,कि उनके इस सफर मेंउसने भी अच्छा साथ निभाया। हाशिए पर खड़ी वो, अब याद भी नहीं करतीउन दिनों को, जब उसकी... Continue Reading →