हमने नया फार्म खरीदा था। जब मौका लगता बड़े शौक से वहाँ जाते। नया नया जोश था। अक्सर तो हफ्ते में दो तीन बार भी चले जाते। शनिवार रविवार वहीं रहते। शेरी थी ही हमारे पास ,लेकिन वो तो फ्लॅट में ही पली बढी थी। सोचा कि एक ऐसा कुत्ता लिया जाए जो एकदम ज़बरदस्त... Continue Reading →
दोस्ताना- ४
शेरी कई बार मुझे विश्वास होने लगता है कि सारे रिश्ते-नाते, छोटी-मोटी घटनाएँ ये किसी तयशुदा बड़ी सी दैवी योजना का हिस्सा होती हैं। जब भी मैं पीछे मुड़कर कोई घटनाक्रम देखती हूँ, तब इस बात का एहसास अधिक होता है कि अरे!! सब बातें ऐसे हुईं मानों पहले... Continue Reading →
दोस्ताना-३
अलादीन और जास्मीन एक बार हम बच्चों को ले कर खंडाला गये थे। लौटते समय लोनावला से हमने कॉकेटील की एक जोड़ी खरीदी। उनका नाम अलादीन और जास्मीन रखा गया। पहले भी कई बार हमने पक्षी लाने के बारे में सोचा था, लेकिन किसी आजाद परिंदे को कैद करने का विचार बड़ा भयानक लगता था।... Continue Reading →
दोस्ताना -२
रॉकी सुबोध का प्राणी प्रेम कम होने का नाम नहीं ले रहा था। आखिर एक कुत्ता लाने का विचार किया गया। पप्पा के किसी परिचित की ऑलसेशियन कुतिया को पिल्ले हुए थे। पिल्लों का पिता देसी था, लेकिन बच्चे देखने में बड़े खूबसूरत थे। हम तो देखते ही फिदा हो गये। और इस तरह रॉकी... Continue Reading →
दोस्ताना
दिल का एक कोना होता है, जो सिर्फ जानवरों के लिए ही आरक्षित होता है। वो जगह दुनिया की कोई भी चीज़ या इंसान नहीं ले सकते। वह जगह सिर्फ और सिर्फ प्राणियों की ही होती है। कितने बदनसीब हैं वो लोग, जिन्होंने कभी कोई पक्षी या प्राणी नहीं पाला और ये मान कर चलते... Continue Reading →
बाप रे बाप …२१
पप्पा को भोपाल में खबर मिली, कि नाना बहुत बीमार हैं। पप्पा तुरंत ग्वालियर भागे। नाना के घर पहुँचे तो उन्हें काफी गंभीर अवस्था में पाया। एक मित्र को डॉक्टर बुलाने के लिए कहा। वो कुछ ही देर में मेडिकल कॉलेज के किसी प्रोफेसर को साथ ले कर आया। उन्होंने जाँच कर तुरंत अस्पताल में... Continue Reading →
बाप रे बाप… २०
पप्पा की नौकरी फिर शुरू हो गई। जब कभी ग्वालियर जाते, बाडे पर नाना से मुलाकात हो जाती। पिता पुत्र इधर उधर की बातें करते। देवानंद की नई फिल्मों की चर्चा होती, चाय पीते और अपने अपने घर लौट जाते। परिस्थितियों की वजह से पप्पा में इतना अधिक आत्मविश्वास आ गया था कि वे किसी... Continue Reading →
बाप रे बाप…१९
पप्पा को गाड़ियों का बड़ा शौक था। स्कूटर और कार तो आमतौर पर सभी लेते हैं, लेकिन हमारे पप्पा ने तो रिक्शा से लेकर बस तक, सभी प्रकार की गाड़ियाँ जीवन में कभी ना कभी खरीदीं। लायसेंस तो उनके पास स्कूटर से ले कर ट्रक तक हर प्रकार की गाड़ी चलाने का था। उस जमाने... Continue Reading →
बाप रे बाप…१८
भाटिया अंकल और पप्पा की बड़ी गहरी दोस्ती थी। दोनों हमेशा साथ-साथ ही रहते थे। भाटिया अंकल का परिवार मुंबई में था। एक बार दोनों ने तय किया कि मुंबई जा कर देवानंद से मिला कर आएँ। मंगाराम बिस्किट कंपनी की फॅक्ट्री ग्वालियर में थी। उसका मालिक इनका दोस्त था। उसका एक ट्रक बिस्किट... Continue Reading →
उत्तराखंड