बुड्ढा सा एक घर था जिसमे लोग भी बूढ़े रहते थे
ज़ोर ज़ोर से करते बातें, ऊँचा ऊँचा सुनते थे।
बुड्ढे घर का बुड्ढा कुत्ता दिन भर सोता रहता था
थका हुआ बूढ़ा दरवाजा चुरचुर रोता रहता था।
एक रोज़ शैतान हवा ने इक बदमाशी कर दी
सालों से गुमसुम थी उस खिड़की पर जा दस्तक दी।
खड़ खड़ करती खुल गई बूढ़े घर की चिड़की खिड़की
और खुली खिड़की से घर में ताज़ा हवा आ धड़की।
नई हवा और नई रौशनी देख बुजुर्ग घबराए
बंद करने वह खुल्ली खिड़की धीर धीरे आए।
लेकिन तब तक बदल गया सारा का सारा मंज़र
और बदलना संग वक्त के सीख गया बूढ़ा घर।
पलक झपकते महक गई खुशबू से सारी बगिया
रोक सका बदलाव न कोई समय,इंसां या दुनियाँ।
स्वाती
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