क्या लिखूँ...
चाहती हूँ कोई बहुत
खूबसूरत बात लिखूँ
नदी लिखूँ पहाड़ लिखूँ,
सारी कायनात लिखूँ ।
बिल्ली की बड़ी बड़ी
बिल्लौरी आँखों से
झाँकता है जो अब भी,
सदियों से खोए उस
जंगल की बात लिखूँ।
बिल्ली के पाँवों से
मेरे भी उसके भी
सपने में आता है,
छप्पर की चाहत में
जो पीछे छूट गया ,
धमनी में फिर भी जो
धड़कन सा बजता है ,
रूहों में फिर भी जो
साए सा रहता है ,
उस अनंत अंबर की
तारों वाली रात लिखूँ ।
स्वाती
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