लगभग ईश्वर की तरह

लगभग ईश्वर की तरह ही लगा उसे
जब उसने अपने भरे-पूरे 
संसार पर नज़र डाली।
बड़ा सृजनशील रहा जीवन।
कुछ नहीं से शुरू कर 
क्या नहीं तक....
अब तो उसकी रचनाएंँ भी अपनी 
खुद की सृष्टि के निर्माण में लगी हैं।
उसके इस सारे स्व कर्तृत्व से
स्वनिर्मित विश्व के बीच
लगभग ईश्वर की ही तरह लगा उसे
नितांत एकाकी....

           स्वाती

5 thoughts on “लगभग ईश्वर की तरह

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